फसल कटाई के बाद अनाज प्रबंधन क्षेत्र में सक्रिय सोहन लाल कमोडिटी मैनेजमेंट (एसएलसीएम) ग्रुप ने रियल टाइम डाटा मैनेजमेंट की विशेष विधि के लिए पेटेंट हासिल किया है। ग्रुप ने 16 दिसंबर 2013 को इस पेटेंट के लिए आवेदन किया था। एसएलसीएम ग्रुप भारत के कृषि क्षेत्र की एकमात्र कंपनी है जिसे एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस सेगमेंट में टेक्नोलॉजी का पेटेंट हासिल हुआ है।
आजादी के बाद से ही भारत का कृषि क्षेत्र स्थिर गति से आगे बढ़ता रहा है, लेकिन समस्या यह है कि वेयरहाउस में रखे जाने वाले अनाज का 10 फ़ीसदी हिस्सा नष्ट हो जाता है। इसकी वजह भंडारण की पुरानी व्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव, वैज्ञानिक तौर तरीकों की जानकारी न होना इत्यादि हैं।
रोचक बात यह है कि बीते 75 वर्षों में सभी सेक्टर में काफी तरक्की हुई है लेकिन कृषि भंडारण के क्षेत्र में एकमात्र कंपनी इस समस्या के समाधान का तकनीकी समाधान लेकर आई। इस प्रौद्योगिकी में कृषि क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति लाने की क्षमता है।
ग्रुप की इस उपलब्धि पर सीईओ संदीप सभरवाल ने कहा, जिस गति से प्रौद्योगिकी का विस्तार हो रहा है उसे देखते हुए मैंने एक दशक पहले वेयरहाउस मैनेजमेंट में फिजिटलाइजिंग की सोची थी। प्रोफेशनल टीम की मदद से हमने एग्री रीच नाम का एक सिस्टम तैयार किया जो वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में प्रभावी समाधान उपलब्ध कराने में सक्षम है। हमें अपने इनोवेशन में विश्वास था और हम भारतीय कृषि को बेहतर बनाना चाहते थे। इसलिए नौ साल पहले हमने पेटेंट के लिए आवेदन किया था। आज मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि भारत सरकार ने हमारे पेटेंट आवेदन को स्वीकार करते हुए उसे मान्यता दे दी है।
एग्री रीच फसलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस प्रणाली के तहत ऑडिट रसीद, क्वालिटी कंट्रोल और सर्विलांस जैसी कई तरह की सेवाएं मिलती हैं। इससे कृषि विशेषज्ञों को भंडारण किए गए अनाज या अन्य उपाय की गुणवत्ता बनाए रखें में मदद मिलती है।
एग्री रीच देश में कहीं भी 24 घंटे के भीतर वेयर हाउस ऑपरेशन शुरू करने में सक्षम है। वर्ष 2017 में एसएलसीएम ग्रुप का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 1010.9 करोड़ रुपए प्रतिदिन था जो आज (20 मार्च 2022) 5322.75 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
सभरवाल ने कहा, एग्री रीच में भारत में कृषि भंडारण को पूरी तरह बदलने की क्षमता है। फिक्की के एक अध्ययन के अनुसार एग्री रीच फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 10 फ़ीसदी से घटाकर 5 फ़ीसदी पर ला सकता है। अगर इन आंकड़ों को मूल्य में परिवर्तित किया जाए तो भारत के कृषि उद्योग को सालाना 13 अरब डॉलर से ज्यादा की बचत होगी। इसका असर अधिक उत्पादकता, बेहतर क्षमता, किसानों की आमदनी और आखिरकार बेहतर खाद्य सुरक्षा के रूप में सामने आएगा।